Surah 7 (Al-A’raaf Ki Raah)

Song

Surah 7 (Al-A’raaf Ki Raah)

Lyrics

[Verse 1]
खुदा ने बनाया इंसान को आईना,
फरिश्तों को भी दिया एक निशाना।
जमीन-आसमां का ये है फ़ासला,
नज़रों में बसा अल-आराफ़ का सवाला।
चलो राह पे सच्चाई की, गुम न हो कोई यहाँ।

[Chorus]
अल-आराफ़ की राह में, नूर है साथ में,
सजदे झुकें जहाँ, वो है मेरा आसमाँ।
ग़लत-सही का फर्क ये दिल बोले गीत बन,
खुदा की मोहब्बत है ये ज़िंदगी का सबक।

[Verse 2]
पैग़म्बरों ने दिया हर ज़माने को संदेसा,
अंधेरे को चीर के दिया रोशनी का दिया।
अमानत है ये ज़िम्मेदारी हम सबकी,
किताबे-हिदायत की यादों को संभालो।
न बन जाए कोई शैतान की आवाज़ गुमाँ।

[Bridge]
कौन सा दरवाज़ा खुलेगा तेरे लिए?
जन्नत की हवा या दोज़ख की आग?
मिज़ाज़-ए-खुदा का है तराजू हाथ में,
इरादों का सफर बन जाएगा पैग़ाम।

[Outro]
फैला हुआ है सब्र का फूल गुलशन में,
अल-आराफ़ की राह पे चलते रहें हम।
ये दुनिया एक इम्तिहान है बस,
खुदा के नूर में मिलेगी हर मंज़िल आख़िर।

Written By

Abu Sayed

Date

March 28, 2025 at 4:10 PM

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