Surah 5 (Al-Ma’idah: Satya Ka Maarg)

Song

Surah 5 (Al-Ma’idah: Satya Ka Maarg)

Lyrics

[Verse 1]
रौशनी की लकीरों में, चलो साथ बढ़ाएं हाथ,
हर सवाल का जवाब है, ये किताब का इरशाद।
दिल की गहराईयों में, उतरे फ़रमानों का साथ,
हर कदम पर है इम्तिहान, पर खुदा का है एहतिजाज़।

[Chorus]
ये राह-ए-हक़ है अल-माइदा की, इंसाफ़ और मोहब्बत की रीत,
नैया डूबे ना भटके कहीं, बंधे वादों के सच्चे सीत।
जीवन के हर रंग में, यकीन की बुनियाद रखो,
एक दूजे के हक़ में, यूँ हमदर्दी का पैग़ाम रखो।

[Verse 2]
नफ़रतों के आँधियों को, मोहब्बत से हराएंगे,
खुदा के बंदे यहीं से, नई दुनिया बसाएंगे।
ज़ुल्म की चादर फाड़ के, सच्चाई को गले लगाएं,
हर इबादत में छुपा है, इंसानियत का जश्न मनाएं।

[Bridge]
क्यों टूटे वादे जब खुदा ने बनाया अहद?
इकरार की रस्में निभाना, यही तो है अस्ल इबादत।
ज़मीन-आसमां का रिश्ता, ये इल्म और एतबार है,
अल-माइदा की निशानी, ये इंसाफ़ का प्यार है।

[Outro]
रहमतों की बारिश में, नहाए ये ज़मीं-ओ-फलक,
राह-ए-हक़ पे चलते रहें, हर दम हो मुकम्मल वफ़क़।
अल-माइदा का सबक यही, ज़िन्दगी को सँवार दे,
एक दूजे के साथ में, खुदा की नेमत उतार दे।

Written By

Abu Sayed

Date

March 28, 2025 at 4:20 PM

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