Surah 29 (Al-Ankabut: Jhoothi Maya ka Jaal)

जीवन के राहों में छुपे हैं इम्तिहान,
आँसू भी, दुआ भी, ये सब हैं निशान।
कमज़ोर मकड़ी के जाले सी ये दुनिया,
जो टिके न कभी, बस खुदा पे है भरोसा।

झूठी माया का जाल, टूटेगा एक पल,
दिल की आवाज़ सुन, रौशनी है वो मंज़िल।
यकीन की डोर थामे, चलते रहो अकेले,
खुदा का सहारा है, ये ज़िंदगी के मेले।

सब्र का साथी बन, हर धूप-छाँव झेल,
सच्चाई की ताकत, झुकाए न कोई मेल।
ये दुनिया फिसलन भरी, रेत सी खिसकती,
मकड़ी के धागे सी, नाज़ुक ये रफ़्तार।

क्यों भटके हो चमकती लकीरों के पीछे?
असली सुकून तो है उसकी बाहों में।
थम जाओ इस दौड़ में, साँस लो एक बार,
वो तुमसे करीब है, बस ज़रूरत है पुकार।

राह-ए-हक की ओर ये निशानी बची है,
दिल से दिल की ये मुलाकाती सजी है।
खुदा की मोहब्बत है दरिया सी उतरती,
रूह में उतरे वो हिदायत की बरखा।

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