Surah 27 (An-Naml: Chhoti si Dua, Badi Raah)

एक चींटी की आवाज़ सुनी सुलेमान ने,
खुदा का इशारा था, ज़मीन पे निशान ने।
झुकी नज़र, दिल में इन्साफ का दिया जला,
छोटी सी कहानी ने बड़ा सबक सुनाया।

हर पत्ता, हर सितारा, ये बोलता है उसका नाम,
अंधेरों में रौशनी दे, वो है मेहरबान।
जहाँ भी देखो, निशानी उसकी बिखरी,
ये दुनिया है किताब, पढ़ो इसे गहरी।

शहज़ादी ने जब देखा सच्चाई का आईना,
सजदे में झुकी वो, टूटा अहंकार का सेहरा।
प्रेम की बयार ने जीत लिया दिल को,
सुल्तान और रानी ने मिलकर गढ़ी मिसाल को।

क्या तूने सोचा है कभी, ये दिल किधर जाएगा?
जो खोया समंदर में, वो मोती कौन लाएगा?
एक दुआ की ताकत से रास्ते खुलते हैं,
खुदा के घर तक ये ज़िंदगी चलती है।

सच्चाई की राह पर चल, नज़र ऊँची नहीं,
हर कदम में उसकी मोहब्बत की खुशबू है।
अन-नम्ल की ये कहानी, दिल को छू जाए,
एक नूर की लकीर है, जो हमेशा बताए।

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