Surah 26 (Ash-Shu’ara: Ishq ki Roshni)

  • Written by Abu Sayed

हर दिल में ये सवाल उठता, अंधेरों में कौन जलाए दिया?
नूह की कश्ती, मूसा की दुआ, सच का सफर ये बताए दिया।
ख़ुदा की रहमत बरसती रही, जब लोगों ने इनकार किया,
फिर भी हर पैग़म्बर ने दिल से यही गीत सुनाया दिया…

इश्क़ की रौशनी, ये सच्चाई का साथ,
हर दर्द में मिलेगा ख़ुदा का हाथ।
जो टूटे भी, वो सितारे जलेंगे,
अश-शुआरा ये गीत हमें समझाएगा!

इब्राहीम की आग भी ठंडी हुई, सजदे में जब आवाज़ गई,
लुत्फ़ की बारिश हूँ मैं, ये कहकर ख़ुदा ने उन्हें बचाया दिया।
हर ज़ुल्म का अंजाम वही, जो सच के दुश्मनों ने पाया दिया,
पर इन्सान की रूह को ये सूरत हमेशा याद दिलाए दिया…

क्यों डरते हो राहों से, जब मंज़िल ख़ुदा की है?
जो टूटे दीये, उन्हें भी रौशनी देती फ़ितरत ये कैसी है?

ये गीत नहीं, दिल की दास्ताँ है,
अश-शुआरा की यादों का आशियाँ है।
ख़ुदा के वादे पर यक़ीन रखना,
हर मुश्किल में वो साथ ही रहना…

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