Surah 22 (Al-Hajj: Ishq ka Safar)

ये ज़िंदगी एक सफ़र है, हर पल में निशानी उसकी,
ख़ुदा की राहों में चलना, यही तो है कहानी उसकी।
जमीन-आसमान गवाही, हर सांस में है वो मौजूद,
नहीं डरना कभी अंधेरों से, रोशनी है वो मंज़ूद।

इश्क़ का सफ़र ये, दिल को बना ले नूर का नज़ारा,
हाज़िर-नाज़िर वो, हर दर्द का है वो ही दवा सारा।
जुड़ जा उसकी बंदगी में, यही है सच्चा प्यारा प्यार,
क़यामत के दिन का इंतज़ार ना, बस आज ही कर इकरार।

जो टूटे दिल को सहारा दे, वो रब है सबका यारी,
नश्वर है दुनिया की चाहत, उसकी मोहब्बत प्यारी।
हज के कदमों में छुपा है, एकता का पैग़ाम सारा,
खुदा के घर की ओर चलो, यही है जीवन का सहारा।

एक दुआ, एक नीयत, लाखों दिलों की एक आवाज़,
फैला दे दुनिया में अमन का, उसका प्यारा नूर-ए-राज़।
गिरती दीवारें उठ जाएं, जब मिलकर गाएं हम साज़,
खुदा की रहमत बरसेगी, बस झुक जा उसके आग़ोश में आज।

ये सूरह सिखाती है, इंसान बनकर रहना है,
दिल से दुआ करना, और उस पर भरोसा रखना है।
फ़ना हो जाएंगे सितारे, पर उसका वादा रहेगा,
जो चल पड़े उसकी राह में, वो मंज़िल को पा ही लेगा।

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