चाँदनी रातों में जैसे तारे बिखर जाएँ,
वैसे ही इस दिल में उतरा नूर-ए-फ़ुरक़ान।
सच-झूठ की लकीर खींचे, ये किताब-ए-हक़ है,
खुदा की रहमत का सागर, ये इंसान का साथ है।
नूर का सफ़र ये, राह-ए-हक़ पे चलते जाना,
दुआओं की धुन में, दिल को सुकून दे जाना।
ज़िक्र-ए-खुदा ये, ग़म के साये को मिटाएगा,
अल-फ़ुरक़ान की रोशनी दुनिया को बताएगा।
जो झुकते हैं सज्दों में, ज़ुबान पे सच लाते,
जफ़ा की रातों में भी सब्र का दिया जलाते।
खुदा का वादा है, अंधेरों को चीरके आएगा,
जो दिल में उतारे फ़ुरक़ान, वो मंज़िल पाएगा।
क्यों डूबा है ये दिल, रूह की तलाश में भटके?
कुरान की आयतें, हर सवाल का जवाब दे।
आसमान की ऊँचाई, समंदर की गहराई,
इश्क़-ए-खुदा की निशानी, ये आयतें बतलाई।
फ़ुरक़ान की राह पे, चलते रहें यूँ ही साथी,
खुदा की मोहब्बत है, ये दुनिया की सबसे बड़ी बाती।
दुआ है यही, हमें मिले हिदायत का साथ,
नूर-ए-इलाही से भर जाए हर एक रात।