Khwaab

  • Written By Abu Sayed

Song

Khwaab

Lyric

ये ख्वाब था या सच कोई?
जो पल में ही धुआँ हुआ
मेरी आँखों से बह गया
तू कहाँ पे लापता हुआ?

कमरे में तेरी खुशबू है
दीवारों पे तेरी परछाई
सब कुछ है वैसा ही यहाँ
बस तू नहीं है, है तन्हाई

हर रात से मैं पूछता हूँ
वो सुबह कहाँ खो गयी
जिसमें हम साथ चलते थे
वो राह क्यों बंजारा हो गयी

ये ख्वाब था या सच कोई?
जो पल में ही धुआँ हुआ
मेरी आँखों से बह गया
तू कहाँ पे लापता हुआ? (कहाँ हुआ?)
इक अधूरी सी दास्ताँ
बस ज़ख्म बन के रह गया

तेरी हँसी की वो खनक
अब कानों में चुभती है
जिस दिल में तू धड़कता था
वो साँस भी अब रुकती है (रुकती है)

हर आईने से पूछता हूँ
मेरा वो चेहरा कहाँ गया
जो मुस्कुराता था तुझको देख
क्यों वक़्त हम से खफ़ा हुआ?

ये ख्वाब था या सच कोई?
जो पल में ही धुआँ हुआ
मेरी आँखों से बह गया
तू कहाँ पे लापता हुआ? (लापता हुआ)
इक अधूरी सी दास्ताँ
बस ज़ख्म बन के रह गया

नाम का ही सईद हूँ मैं
नसीबों में तो गम लिखा
जिन हाथों में थे हाथ तेरे
उन हाथों में बस भरम लिखा

क्या इतनी भी मोहलत नहीं?
इक बार आ के देख ले
हम जी रहे हैं किस तरह
बस एक ही सवाल पे

ये ख्वाब था या सच कोई? (ख्वाब था)
जो पल में ही धुआँ हुआ
मेरी आँखों से बह गया (बह गया)
तू कहाँ पे लापता हुआ?
इक अधूरी सी दास्ताँ
बस ज़ख्म बन के रह गया (रह गया)

बस ख्वाब ही था… शायद
जो टूट के… बिखर गया
धुआँ धुआँ… (धुआँ)
ये दिल मेरा… (दिल मेरा)

Profile Picture
Abu Sayed's New Music Released
Ya Ali - Spanish Version, Vol. 2
Listen Now
Send this to a friend