Gaza Ki Khamoshi Ka Safar
Song
Gaza Ki Khamoshi Ka Safar
Lyrics
ये मिट्टी के टुकड़े, ग़ज़ा की सदाएँ,
कितने सवाल बने, जवाब न आएँ।
धूप में सूखे फूल, बारिशों के इंतज़ार में,
बच्चों के आँसू भी रहे बेज़ारों की निशानी।
ख़ामोश हैं सारे जहाँ के अफ़साने,
दर्द की हवा चली, पर सुने न बयाने।
हर साँस में जलती है ये धरती ग़ज़ा की,
क्यों टूटे सपनों पे लिखी इतिहास की कहानी?
दुनिया के पास थे सितारे, समुंदर, हवाएँ,
पर ग़ज़ा की राहों में बिखरी थीं राख की छायाएँ।
हौले-हौले डूबा सूरज, आँखें ढल गईं,
रौशनी के मालिकों ने दिया न कोई सहारा।
क्या ख़्वाब बचे हैं इन टूटी हुई दीवारों में?
कहाँ गया वो इमान जो था दुआओं के प्यारों में?
हर शाम यहाँ इंतज़ार है एक सहर का नाम ले,
मगर फ़ज़ा में उड़ते हैं सिर्फ़ धुएँ के पतंगे।
ये सन्नाटा गहरा है, मौत से भी ज़्यादा स्याह,
ग़ज़ा की हवा में लिखी है दर्द की एक चिट्ठी।
अब तक बेचैन हैं यहाँ की हर सुबह-ओ-शाम,
इतिहास की किताब में ये यादें रहेंगी सदा।
Written By
Abu Sayed
Date
April 5, 2025 at 1:20 AM
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