Aag ka Saaya
- Written By Abu Sayed
Song
Aag ka Saaya
Lyric
ये दिल किसकी आग में जलता है?
राख हो गए सारे वादे, सच्चाई टूट के बिखरती है।
छाया है तेरा नशा, मेरी साँसों में घुलता जाए,
ख्वाबों के जंगल में खोया हूँ, रस्ता कौन बताए?
आग का साया, धुआँ-धुआँ दिल!
तू ही बता, ये कैसा जुनून?
चीखती गिटार, सतरंगी रातें,
तेरे बिना ये दर्द है सन्नाटे!
बेताब नज़रें, टूटे शीशे जैसे,
खामोशी के पहाड़ों में गूँजे मेरे सवाल।
रूह की गहराई से उठती है आवाज़,
“मैं क्यूँ बना हूँ तेरे इश्क़ का मेहमान?”
सितारों के जाल में फँसा हूँ मैं,
हर चिंगारी तेरा नाम लेती है।
महकते ज़ख़्म, नशीली यादों के साये,
इस दीवानगी को अब कौन समझाए?
आग का साया, धुआँ-धुआँ दिल!
तू ही बता, ये कैसा जुनून?
चीखती गिटार, सतरंगी रातें,
तेरे बिना ये दर्द है सन्नाटे!
मैं हूँ या कोई और? इश्क़ की लहरों में डूबा,
महामाया के सागर में खोया हूँ अब तक।
बजता रहे सैक्सोफोन, गर्जे बेस, थामे ताल—
ये रॉक-ओ-रूहानी रात… बस तेरा इंतज़ार!
- 0Email
- 0Facebook
- 0Twitter
- 0Pinterest
- 0LinkedIn
- 0Like
- 0Digg
- 0Del
- 0Tumblr
- 0VKontakte
- 0Reddit
- 0Buffer
- 0Love This
- 0Weibo
- 0Pocket
- 0Xing
- 0Odnoklassniki
- 0WhatsApp
- 0Meneame
- 0Blogger
- 0Amazon
- 0Yahoo Mail
- 0Gmail
- 0AOL
- 0Newsvine
- 0HackerNews
- 0Evernote
- 0MySpace
- 0Mail.ru
- 0Viadeo
- 0Line
- 0Flipboard
- 0Comments
- 0Yummly
- 0SMS
- 0Viber
- 0Telegram
- 0Subscribe
- 0Skype
- 0Facebook Messenger
- 0Kakao
- 0LiveJournal
- 0Yammer
- 0Edgar
- 0Fintel
- 0Mix
- 0Instapaper
- 0Print
- Share
- 0Copy Link